Tuesday, June 9, 2009

या हुसैन ! या हुसैन !

शहीद-ए-कर्बला की मोमिनों जब याद आती है
तड़प जाती है दुनिया खून के आंसू बहाती है
या हुसैन ! या हुसैन !

शाह अस्त हुसैन बादशाह हस्त हुसैन
दीने-अस्त हुसैन दीन -पना हस्त हुसैन
सर दद न दद दस्त दर दस्त -ऐ -याजीद
हक -ए के बिने ला इला हस्त हुसैन

सजदे में सर कटने को आखिर कटा दिया
लेकिन खुदा के नाम का डंका बजा दिया
या हुसैन ! या हुसैन !

दीद की गर तलाश है सर को झुका नमाज़ में
दिल से खुदी को दूर कर खुद को मिटा नमाज़ में
आये गा तुझ को तब नज़र रो -ऐ -खुदा नमाज़ में
पहले हुसैन की तरह सर को कटा नमाज़ में
और कह या हुसैन ! या हुसैन !

किस की मजाल ए हुसैन किस को हो तुझ से हम्सरी
बाप के घर इम्मयातें नाना के घर पायम्बरी
शक्ल -ऐ -हुसैन देख कर हक भी कहे गा हश्र में
ए मेरे मुस्तफा के लाल उम्मत -ऐ -मुस्तफा बर'ई
या हुसैन ! या हुसैन !

सलामी कर्बला में किया क़यामत की घरी होगी
छुरी शब्बीर की गर्दन पे जिस दम चल रही होगी
कलेजा थाम कर पीर -ऐ -फलक भी रे h गया होगा
कलेजे पैर अली अकबर के बरची ? जब लगी होगी

मुझे जाने दो पानी भर के ये अब्बास कहते थे
कई दिन की पियासी है सकीना रो रही होगी
लुटी है जैसे दुन्या कर्बला में इब्न -ऐ -हैदर की
किसी मजलूम की दुनिया न दुनिया में लुटी होगी

मोहम्मद के नवासी नै जो की तैघों ? के साए में
बशर तो क्या फरिश्तून से न ऐसी बंदगी होगी
नबी से पेश्तर मिश्र में उम्मत बख्स्वाने को
हुसैन इब्न -ऐ -अली आऐं गे दुन्या देखती होगी

हमारे खून के बदले में उम्मत बख्श दे या रुब
खुदा से हशर में ये इल्तिजा शब्बीर की होगी
बारे घम्खार हैं वो ग़म न कर ? बक्शीश का ए पुरनम
करम से पुंज -तुन के हशर में बख्सिश तेरी होगी
या हुसैन ! या हुसैन !

ye जब जान तन से निकले लैब पैर तेरे हो क्या
या हुसैन ! या हुसैन !
हुस्न की इब्तिदा हैं वो इश्क की इंतिहा हैं वो
या हुसैन ! या हुसैन !